श्रावण मास में कितने सोमवार करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं

blue and white simple happy guru purnima greeting instagram post (graph)

भारत की संस्कृति में व्रत और उपवास को विशेष महत्व दिया गया है। भगवान शिव के प्रति श्रद्धा रखने वाले भक्तों के लिए “सावन” का महीना और “सोमवार व्रत” अत्यंत पवित्र माने जाते हैं। इन व्रतों के माध्यम से भक्त भगवान शिव की कृपा प्राप्त करते हैं और अपनी इच्छाओं की पूर्ति की कामना करते हैं।

लेकिन प्रश्न यह है — “श्रावण मास में कितने सोमवार करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं?”
इसका उत्तर केवल संख्याओं में नहीं, बल्कि श्रद्धा, तपस्या, और आस्था में भी छुपा हुआ है।


श्रावण मास क्या है?

“श्रावण मास” हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष का वह महीना होता है जो भगवान शिव को समर्पित होता है। यह मास वर्षा ऋतु के दौरान आता है और इसमें जल, वायु और वातावरण शुद्ध और शक्तिशाली होते हैं। यह समय साधना, तपस्या, और भक्ति के लिए अत्यंत उपयुक्त माना गया है।

श्रावण मास में सोमवार व्रत का विशेष महत्व होता है। भक्त इस पूरे महीने में आने वाले हर सोमवार को उपवास रखते हैं और शिवजी की आराधना करते हैं।


सोमवार व्रत का महत्व

सोमवार का दिन शिवजी को समर्पित होता है। यह माना जाता है कि जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा और नियम के साथ सोमवार व्रत करता है, उसकी सभी इच्छाएं धीरे-धीरे पूरी हो जाती हैं। यह व्रत विशेष रूप से संतान सुख, वैवाहिक जीवन की समस्याओं, मानसिक शांति, धन-धान्य, और रोगों से मुक्ति के लिए किया जाता है।


श्रावण मास में कितने सोमवार करने चाहिए?

  1. 11 सोमवार व्रत
    यह प्रारंभिक साधकों के लिए है। अगर कोई भक्त पहली बार व्रत कर रहा है तो 11 सोमवार से शुरुआत करना उचित होता है। इससे मनोबल बढ़ता है और साधना की दिशा मिलती है।
  2. 16 सोमवार व्रत (सोलह सोमवार)
    यह सबसे प्रसिद्ध और प्रभावी माने जाने वाले व्रतों में से एक है। बहुत सी धार्मिक कथाओं में 16 सोमवार व्रत करने से चमत्कारिक लाभों का वर्णन है। विशेष रूप से अविवाहित कन्याओं और युवाओं के लिए उत्तम माना जाता है।
  3. 21 सोमवार व्रत
    यह संख्या एक विशिष्ट उद्देश्य के साथ की जाती है। जैसे कि कोई जीवन की विशेष समस्या से ग्रस्त है और विशेष समाधान चाहता है। यह एक संकल्प के साथ किया जाने वाला व्रत होता है।
  4. 51 सोमवार व्रत
    यह व्रत उन भक्तों के लिए होता है जो दीर्घकालिक लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। जैसे आध्यात्मिक उन्नति, गहन साधना, या कोई बड़ी मनोकामना।
  5. 108 सोमवार व्रत
    यह व्रत ‘परम सिद्धि’ की श्रेणी में आता है। इसे “श्रावण मास की पूर्णता” माना जाता है। जो व्यक्ति 108 सोमवार बिना विचलित हुए, पूर्ण नियम और श्रद्धा के साथ करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं – ऐसा शास्त्रों और संतों का मत है।

व्रत कैसे करें? (विधि)

  • प्रातः स्नान के बाद भगवान शिव का पूजन करें।
  • शुद्ध जल, दूध, शहद से शिवलिंग का अभिषेक करें।
  • “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें।
  • सफेद वस्त्र पहनना उत्तम होता है।
  • दिनभर उपवास रखें – फलाहार या केवल जल।
  • शाम को दुबारा आरती करें और सोमवार व्रत कथा पढ़ें।
  • किसी गरीब को भोजन या वस्त्र दान करें।
  • रात्रि में केवल सात्विक भोजन करें (यदि निर्जल व्रत नहीं किया हो)।

श्रावण मास में सफलता के सूत्र

  1. नियम और अनुशासन
    व्रत में सफलता तभी मिलती है जब उसे पूरे नियमों और अनुशासन के साथ किया जाए। एक भी सोमवार छोड़ना उचित नहीं माना जाता।
  2. श्रद्धा और विश्वास
    केवल संख्या की गिनती नहीं, श्रद्धा की गहराई आवश्यक है। यदि आप 108 व्रत भी कर लें लेकिन मन में शंका हो, तो पूर्ण फल नहीं मिलता।
  3. स्वार्थरहित भक्ति
    शिव भक्ति निःस्वार्थ होनी चाहिए। यदि आप केवल लाभ के उद्देश्य से कर रहे हैं तो फल सीमित हो सकता है। शिव का स्मरण उनके स्वरूप और सौम्यता के लिए हो।

श्रावण मास के चमत्कारिक अनुभव (जनश्रुतियाँ)

  • एक वृद्धा ने 16 सोमवार का व्रत कर अपनी बहू को संतान सुख दिलाया।
  • एक युवा ने 108 सोमवार व्रत कर कैंसर जैसी बीमारी से मुक्ति पाई।
  • एक छात्र ने 21 सोमवार व्रत करके विदेश में शिक्षा प्राप्त की।

हालांकि ये अनुभव व्यक्तिगत हैं, लेकिन ये दिखाते हैं कि आस्था में अद्भुत शक्ति होती है।


विज्ञान क्या कहता है?

विज्ञान कहता है कि जब व्यक्ति लगातार किसी एक कार्य पर ध्यान केंद्रित करता है, तो उसका मन और शरीर एक विशेष ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। व्रत करने से आत्म-संयम, मानसिक शांति, और एकाग्रता बढ़ती है। इसके परिणामस्वरूप निर्णय शक्ति बेहतर होती है और व्यक्ति अपने लक्ष्य को अधिक प्रभावी ढंग से प्राप्त कर सकता है।


निष्कर्ष

तो, “श्रावण मास में कितने सोमवार करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं?”
उत्तर है — श्रद्धा के साथ किए गए “108 सोमवार व्रत” को पूर्णता का प्रतीक माना गया है।
हालांकि आप 16, 21 या 51 सोमवार से भी आरंभ कर सकते हैं, लेकिन सबसे जरूरी बात है – आपकी नीयत, नियम, और निष्ठा।

शिव केवल संख्या नहीं देखते, वे आपके भाव और भक्ति को देखते हैं।


हर हर महादेव!

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top